(1) मध्यप्रदेश राज्य में व्यापार तथा उद्योग की उन्नति करना तथा उनकी रक्षा करना एवं उनसे संबंधित विषयों पर व्यापारी समाज को परामर्श देना।
(2) व्यापारी समाज में सहयोग एवं एकता उत्पन्न करना।
(3) व्यापार अथवा उद्योग से संबंधित विधि-विधानों के संबंध में न्याय विभाग, नगर पालिकाओं तथा अन्य स्थानीय निकायों (लोकल बॉडीज) एवं शासन के संबंधित विभागों के समक्ष व्यापारिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करना तथा साथ ही ऐसे सुधार कराने के संबंध में, जिनसे कि जन-साधारण तथा देश एवं मध्यप्रदेश राज्य के व्यापार उद्योग की उन्नति हो, मध्यप्रदेश शासन तथा केन्द्रीय शासन को ज्ञापन देना तथा प्रतिनिधित्व (रिप्रेजेन्टेशन) करना तथा उचित उपायों से अपने अधिकार प्राप्त करना और उनकी रक्षा करना।
(4) व्यापार तथा उद्योग से संबंधित समस्त जानकारी एवं आंकड़ों को एकत्रित करना तथा उचित साधनों द्बारा उनका प्रसार करना।
(5) मध्यप्रदेश की मंडियों की स्थिति सुधारना तथा उनकी उन्नति के लिए प्रयत्न करना।
(6) मध्यप्रदेश तथा सम्पूर्ण देश की आयात-निर्यात की स्थिति का अध्ययन करना तथा उसके संबंध में उपयुक्त सुझाव प्रस्तुत करना।
(7) समय-समय पर व्यावसायिक भाषणों का आयोजन करना।
(8) व्यावसायिक विवादों का निर्णय करना।
(9) शासन तथा स्थानीय निकायों द्बारा लगाए गए करों के औचित्य को देखना व यदि उनमें कोई अनौचित्य प्रगट होता हो तो उसे दूर करवाने का प्रयत्न करना।
(10) व्यापारी समाज के संगठन एवं मनोरंजन के हेतु व्यापारी क्लब की स्थापना करना तथा उसका संचालन करना।
(11) मध्यप्रदेश राज्य के औद्योगिक उत्पादन को उचित प्रदर्शन की सुविधा देना।
(12) समान उद्देश्यों वाली संस्थाओं से पारस्परिक सम्पर्क स्थापित करना।
(13) औद्योगिक उत्पादन की वृद्घि और गुणवत्ता में सुधार का प्रयत्न करना।
(14) व्यापारिक एवं औद्योगिक हितों की रक्षा के लिए सरकारी, अर्द्घ सरकारी संस्थाओं जैसे नगर पालिका आदि एवं शासन द्बारा नियुक्त तथा निर्मित समितियों, बोर्ड इत्यादि में चेम्बर के लिए विशेष प्रतिनिधित्व प्राप्त करना।
(15) किसी भी संस्था में चेम्बर के लिए विशेष प्रतिनिधित्व आवश्यक प्रतीत होने पर वहां होने वाले व्यापक निर्वाचन में साधारण सीट से पदाभिलाषी खड़ा करना व उसे निर्वाचन में सफल बनाने का प्रयत्न करना।
(16) व्यापार उद्योग तथा अर्थशास्त्र की पुस्तकों तथा विधानों, नियमों, प्रतिवेदनों एवं समाचार-पत्रों आदि का संग्रह करना तथा व्यापारिक पुस्तकालय स्थापित करना।
(17) मध्यप्रदेश राज्य के बाहर चेम्बर के हितों का संरक्षण एवं सम्वर्द्घन करने का प्रयत्न करना।
(18) व्यापारिक विषयों में परिपाटियों पर व्यापारियों को मत देना और यह प्रयत्न करना कि व्यापार के काम में सुविधा और सुगमता हो तथा इस हेतु स्थापित संस्थाओं को अपनी सम्बद्घ संस्था बनाना और उनको व्यापार संबंधी उचित परामर्श देना।
(19) चेम्बर की आवश्यकता पूर्ति के लिए किसी चल अथवा अचल सम्पत्ति को क्रय करना, भाड़े या पट्टे पर लेना व देना। कोई स्वत्व अथवा स्वत्वाधिकार जो आवश्यक हों, चेम्बर के लिए प्राप्त करना या उन्हें हस्तांतरित कर देना।
(20) चेम्बर के लिए क्रय की गई, अचल सम्पत्ति पर भवन निर्माण करना, उसमें परिवर्तित करना, उसे भाड़े पर देना।
(21) किसी विशेष व्यापार अथवा उद्योग की वास्तविक कठिनाईयों के निराकरण हेतु विशेष जांच हाथ में लेना तथा ऐसी सब कार्यवाही करना जो उन विशेष व्यापार अथवा उद्योग की उन्नति, सुगमता और व्यवस्था के लिए आवश्यक हो।
(22) चेम्बर की आय वृद्घि के लिए प्रवेश शुल्क, सदस्यता शुल्क आदि नवीन साधनों द्बारा आय में वृद्घि करना।
(23) अन्य व्यापारिक संस्थाओं का उनकी प्रार्थना पर ऑफिस कार्य सम्पादन करना और उनके सम्मेलन आदि के लिए सुविधा देना।
(24) मध्यपदेश व्यापारिक एवं औद्योगिक सम्मेलन का आयोजन करना तथा उसमें मध्यप्रदेश के व्यापार उद्योग से संबंधित प्रश्नों पर विचार कर शासन के सम्मुख प्रस्ताव के रूप में रखना तथा स्वीकृति कराने का प्रयत्न करना।
(25) अर्थ, व्यापार एवं उद्योग संबंधी विषयों पर साहित्य तथा सावधि पत्रिकाएं आदि का सदस्यों के हितार्थ प्रकाशन करना।
(26) देश एवं प्रदेश के नागरिकों के हितार्थ विभिन्न प्रकार के सामाजिक, पारमार्थिक एवं नैतिक सेवा के कार्य करना, प्रकल्प चलाना तथा उनकी व्यवस्था करना।
(27) साधारणतया ऐसे समस्त कार्य करना, जो व्यापार तथा उद्योग की उन्नति तथा चेम्बर के उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति के हेतु आवश्यक हों।
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